शेरों के सामने पहुंची वर्दी वाली 'शेरनियां'
हनीफ खोखर - गीर जंगल - गुजरात
वर्दी में अब 'शेरनी' आ रही हैं. वो भी एक नहीं, कई दर्जन. गिर के जंगलों में अब महिलाएं शेरों के सामने होंगी. गिर के जंगलों में वन विभाग में महिला कमांडर्स को भर्ती किया गया है.
गुजरात के गीर जंगल में बब्बर शेर की आबादी गिनने का काम चल रहा है, शेरो की गिनती का काम हर पांच साल के बाद होता है और 2 मई से 5 मई 2015 यानि 4 दिन तक चलगा, वैसे तो इस कार्य में 2500 से जयादा लोग जुड़े है, मगर पहेली बार शेर गणना के चुनौती पूर्ण कार्य में 150 से भी ज्यादा महिला काम कर रही है, बब्बर शेर, तेंदुवे जैसे खतरनाक जंगली जनवरो से भरे इस गीर के जंगल में कोई भी बहादुर पुरुष काम करने से डरते है वहां वन विभाग की महिला कर्मचारी कैसे शेर गणना का कठिन कार्य कैसे करती हे ?
देखिये गीर जंगल की मर्दानी महिला पर एक खास रिपोर्ट
ये हे गीर का इकलौता जंगल है जहा एशियाई शेर पायेजाते है, 1413 स्क्वेर किलोमीटर में फैले इस विशाल गीर के जंगल में बब्बर शेर के आलावा तेंदुवे, वरु, लकड़बघ्घा, मगरमच्छ जैसे हिंसक प्राणी भी रहते है, आजकल इस जंगल में शेरो की आबादी गिनने का काम चला रहा है, वैसे तो गुजरात के वन विभाग ने करीब 2500 से ज्यादा कर्मचारीओ को इस कार्य में लगाया है मगर सबसे बड़ी बात यह है पहेली बार इस कार्य में 150 से ज्यादा महिला भी काम कर रही है, इस बारे में बात करते हुवे गुजरात वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक डॉ. एस. सी. पंत ने बताया की महिला कर्मचारी बड़ी ताकत से और निर्भयता से काम कर रही है, और इसी लिए उसे भी दुर्गम और कठिन इलाकोमें शेर गणना काम कर रही है, डॉ. पंत कहा की महिला ने मांग की थी की जिस तरह बाकि लोग कठिन और दुर्गम जंगल में काम करते है उसी तरह हम भी काम करेंगे इसीलिए महिलाओ को ड्यूटी देने में कोई भेदभाव नहीं रख्खा गया.
वैसे तो 2007 में गुजरात की मोदी सरकार ने वन विभाग में पहलीबार महिलाओ की भर्ती शुरू की थी उनके बाद बहोतसी महिलाये गिर के जंगल में काम करने के लिए आगे आई और आज महिलाये गिर फारेस्ट में गार्ड से लेके वन संरक्षक चुनौती से भरा काम कर रही है, गीर नेशनल पार्क के नायब वन संरक्षक डॉ. संदीप कुमार कहते है की आज महिलाये गीर के जंगल में हर वोह कार्य करती है जो बाकि लोग कर रहे थे, डॉ. संदीप ने बताया की महिलाये गिर के जंगल में प्राणियों के रख रखाव से लेकर रेस्क्यू जैसे खतरनाक और जोखमी काम भी आसानी से कर रही है.
1413 वर्ग किलोमीटर एरिया मैं फैले इस गीर के जंगल के आलावा आसपास के इलाके में भी महिलाये काम कर रही है, जब भी शिकार की तलाश में भटकता हुवा खतरनाक प्राणी किसी गावं के मकान में घुसता है, खेत के किसी कुवे में गिरता है या तो घायल होता है तब रेस्क्यू टीम में अहम भूमिका अदा करनेवाली फोरेस्टर रशीला वाढेर टीम के साथ पहोच जाती है, फिर सामने शेर हो, तेंदुवा हो या हो मगरमच्छ रसीला बिना डरे खतरनाक प्राणी का मुकाबला करके खूंखार प्राणी को और लोगो को मुसीबत से बचाने का कार्य कर रही है, रसीला महीने में ऐसे कई रेश्क्यु ओप्रेसन करके न सिर्फ लोगो खूंखार प्राणियों से छुटकारा दिलाती है बल्कि मानव बसाहत में फसे दुर्लभ प्राणी की जान भी बचाती है, रसीला की तरह ही 150 से ज्यादा महिला इस बार अलग अलग जगहों पर चुनौती पूर्ण कही जाने वाली इस शेर की गिनती का काम कर रही है.
शेरो के इस गीर के जंगल में 70 पहले सिर्फ 11 शेर ही बचे मगर जूनागढ़ के नवाब ने शेर के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया और शेर के संवर्धन का शुरू किया था बाद में सरकार की नीति और स्थानीय लोगो की मदद के कारन धीरे धीरे शेरो की शंख्या बढ़ने लगी फिर 1963 में गिनती शुरू हुई तब 285 शेर पाये गए थे, 2005 में 359 से बढ़कर आखरी गिनती 2010 में 411 शेर पाये गए थे 97 नर शेर, 162 मादा शेरनी और 152 शावक थे. खुश खबर यह है की जंगल के राजा यानि बब्बर शेरो की शंख्या में काफी इजाफा होने वाला है,
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